ISRO ने चंद्रयान-4 मिशन की तैयारी शुरू कर दी है, जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह से सैंपल लाकर पृथ्वी पर लाना है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-4 मिशन की तैयारी औपचारिक रूप से शुरू कर दी है। इस मिशन का उद्देश्य सिर्फ चंद्रमा की सतह तक पहुंचना नहीं है, बल्कि वहां से मिट्टी और चट्टानों के सैंपल लाकर पृथ्वी पर लाना है — जो अब तक केवल तीन देश (अमेरिका, रूस और चीन) ही कर पाए हैं। अगर भारत यह कर लेता है, तो वह इस लिस्ट में शामिल होने वाला चौथा देश बन जाएगा।
ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-4 मिशन को 2026 तक लॉन्च करने की योजना है। यह मिशन तकनीकी दृष्टिकोण से बेहद जटिल होगा, क्योंकि इसमें एक ऐसा तंत्र विकसित किया जा रहा है जो चंद्रमा पर जाकर सैंपल एकत्र करेगा, उसे ऑर्बिटर तक पहुंचाएगा और फिर पृथ्वी पर वापसी के लिए भेजेगा।
मिशन को सफल बनाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम अंतरराष्ट्रीय सहयोग से मिलकर काम कर रही है। ISRO, फ्रेंच और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों के साथ मिलकर इस परियोजना को तकनीकी समर्थन दिला रहा है।
इस मिशन में सबसे बड़ी चुनौती चंद्रमा की सतह से उड़ान भरकर पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी करना है। इसके लिए एक अत्याधुनिक Sample Return Vehicle बनाया जा रहा है। साथ ही, भारत की निजी स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनियां भी इस मिशन में भागीदारी कर रही हैं।
इसके अलावा, लैंडिंग और टेक-ऑफ की सटीकता के लिए AI आधारित नेविगेशन सिस्टम भी इस मिशन में शामिल किया जा सकता है। ISRO इस मिशन को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से पूरा करने की कोशिश कर रहा है।
चंद्रयान-4 मिशन भारत के लिए न केवल एक तकनीकी उपलब्धि साबित होगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की वैज्ञानिक साख को भी मजबूत करेगा। 2023 में सफल चंद्रयान-3 लैंडिंग के बाद अब भारत और आगे बढ़ रहा है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत का नाम अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो जाएगा।